'क्या रिश्ते भी जायज और नाजायज होते हैं

मैं अक्सर सोचता हूँ कि क्या रिश्तों को भी जायज और नाजायज के खाँचे में रखकर देखना ठीक होगा? जब दो व्यक्ति एक दूसरे के साथ जुड़ते हैं तो इसका कारण एक दूसरे के प्रति प्रेम, आकर्षक, आत्मीयता या किसी अन्य तरह के सुख की खोज का होती है।यह सम्बन्ध किस रूप में विकसित होगा,यह महज उन दो लोगों की आपसी सहमति पर आधारित होना चाहिए। इसमें कोई किसी का मालिक या कोई किसी का गुलाम नहीं होता। दोनों एक-दूसरे के प्रति कितने कमिटेड और कितने लॉयल हैं यह उनके चयन और नेचर की स्वाभाविकता का मामला है न कि कोई बाध्यता या जबरन ओढ़ी हुई नैतिकता। यदि दोनों में से कोई भी किसी तीसरे को लेकर आकर्षण या झुकाव महसूस करता है तो यह एक स्वाभाविक बात है। मैं समझता हूँ कि किसी के प्रति अपने भीतर के अदम्य आकर्षण और झुकाव को नैतिकता के आवरण में दबा लेना एक अस्वाभाविक और अवैध घटना होगी। सिर्फ विवाह के नाम पर जबरन एक-दूसरे से बंधे रहना निश्चित ही एक अवैध घटना है। मेरी समझ से हर वह प्रेम या विवाह का रिश्ता जिसमें प्रेम, आदर, एक-दूसरे की स्वतंत्रता का सम्मान, बराबरी का भाव जैसी चीजें न हों तो वह स्वतः अवैध बन जाता है। अपने आस-पास के वैवाहिक सम्बन्धों पर नज़र दौड़ाता हूँ तो वैवाहिक जोड़े एक-दूसरे से भयंकर ऊब से भरे दिखाई देते हैं। रिश्तों में स्वाभाविकता का कोई पुरकशिश रंग नहीं दिखता। मेरी समझ से इसे अगर अवैध कह दिया जाय तो इसमें कोई अनुचित बात नहीं होगी। बिना प्रेम जबरन किसी बंधन को निभाने के दबाव के बोझ तले जीवन की हत्या करने से ज्यादा अवैध और क्या हो सकता है?....
                  प्रशान्त रमण रवि
                असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी
                 गवर्नमेंट कॉलेज,लिल्ह कोठी                        चम्बा, हिमाचल प्रदेश

Comments

  1. Wow sir.!! बेहद खूब कहा आपने 🔥

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  2. Bilkul sahi baat ♥️♥️🤗🤗

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  3. Bilkul sahi baat👏🤗🤗

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  4. बिल्कुल सही sir
    ❤️💯💯💯% agreed

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  5. Bhut badiya.. Baat khe hai sir apne ❣️बिना प्रेम जबरन किसी बंधन को निभाने के दबाव के बोझ तले जीवन की हत्या करने से ज्यादा अवैध और क्या हो सकता है? 🙏

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  6. 👍thumbs up sir....u always says well and true 💯

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  7. 👌👌👌👌very true👍👍👍

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  8. यही तो दिक्कत है कि सामाजिक रूप में जब तक किसी संबंध को अपनाया नहीं जाता तब तक नैतिकता और अनैतिकता के तराज़ू में रिश्तों को तोलते है, पर जब सामाजिक व्यवस्था के हिसाब से किसी संबंध को नाम मिल जाए तों वहीं तराज़ू नैतिकता और अनैतिकता में फर्क करना भूल जाता है....!

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  9. अक्षरस: सत्य,इस विषय पर संवाद होना चाहिए

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  10. Waah sir ❤️❤️❤️ 💯

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  11. Apne jo kaha sach kaha sir... Kash sari duniya esa soche... ☺❤🌷

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  12. Apne jo likha h sir vo sach kaha h... Kash sari duniya esa hi soche... 🌷❤☺

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  13. ये तो रघुकुल की रीत है गुरुवर जो नाजायज है वो दिखता नही औऱ जहाँ किसी कों बोलने का अधिकार नही वही अपनी टांग घुसेड़ कर प्रेम को नाजायज घोषित कर देते है!

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  14. बहुत ही अच्छी बात कही हैं आपने सर 🙏किसी के नाम से नाम जोड़ देने पर रिश्ता नहीं बनता, बल्कि एक सम्मान सोच रखने से एक पवित्र रिश्ता बनता हैं 😊जिसे युगों युगों तक याद किया जाता हैं 😊

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  15. Absolutely right sir ji 👌👌👌👌👍👍👍💯💯💯💯

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  16. बहुत ही खूब गुरु जी। बीना प्रेम जबरन किसी बंधन को निभाने के दबाव के बोझ तले जीवन की हत्या करने से ज्यादा अवैध और क्या हो सकता है? 👍👍👍👌👌👌👌💯💯💯

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  17. You have penned your thoughts beautifully.

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