कैसा हो एक युवा का सपना:- "तरुण के स्वप्न" के बहाने से...
अमर स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चन्द्र बोस जेल में बिताये अपने दिनों को याद करते हुए लिखते हैं-" जन्मभूमि से दूर जेल की कोठरी में महीने पर महीने काट रहा था, उस समय बार-बार मेरे मन में यह प्रश्न उठता था- " किसके लिए, किस उद्दीपन से उद्दीप्त हो कारावास के बोझ से न दबकर हम और भी शक्तिमान हो रहे हैं?" इस प्रश्न का आत्मा जो उत्तर देती, वह यह था- " भारत का एक Mission है, एक गौरवमय भविष्य है, उस भावी भारत के उत्तराधिकारी हमी हैं। नवीन भारत के इतिहास की रचना हमी ने की है और करेंगे। इसी विश्वास के बल पर हम सब दुःख,यातना सहते हैं, वास्तविकता को आदर्श के आघात से चूर-चूर कर डालते हैं। इसी अटल अचल विश्वास के कारण ही भारतीय युवकों की शक्ति मृत्युंजयी है। ...जो व्यक्ति किसी महान आदर्श को निस्वार्थ भाव से चाहने के कारण दुःख और यंत्रणा पाता है, उसके लिए वह दुःख और यंत्रणा अर्थहीन-बेमतलब नहीं होती। उसके लिए तो दुःख आनन्द के रूप में रूपांतरित होता है। वही आनन्द अमृत की तरह उसकी रग-रग में शक्ति का संचार करता है। वही जीवन का वास्तविक अर्थ समझ सकता है, आदर्श के चरणों में सर्वस्व